Himachal : जायका परियोजना के माध्यम से विकसित होंगे गुणवतापूर्ण प्रजातियों के 60 लाख पौधे, प्रदेश का हरित आवरण बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का लक्ष्य: मुख्यमंत्री
60 lakh plants of quality species will be developed through the Jaika project
60 lakh plants of quality species will be developed through the Jaika project : शिमला। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज शिमला में आयोजित जाईका की वानिकी एवं प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन परियोजनाओं (एनआरएम) की तीन दिवसीय 12वीं वार्षिक कार्यशाला को धर्मशाला से वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित किया। इस अवसर पर प्रदेश के हरित आवरण को बढ़ाने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में, राज्य में लगभग 28 प्रतिशत हरित आवरण है और प्रदेश सरकार ने वर्ष 2030 तक इसे बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
4 हजार 600 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर किया गया पौधारोपण
उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए लिए जाईका द्वारा वित्त पोषित वानिकी और एनआरएम परियोजनाओं ने राज्य में हरित क्षेत्र को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले दो वर्षों में, उन्नत तकनीकों की मदद से 4 हजार 600 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर पौधारोपण किया गया है। सामुदायिक और वानिकी उद्देश्यों के लिए परियोजनाओं के माध्यम से उच्च गुणवता वाली पौध तैयार करने तथा 60 लाख से अधिक महत्वपूर्ण गुणवतापूर्ण प्रजातियों के पौधे विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अतिरिक्त, राज्य भर में 72 नर्सरी का नवीकरण किया जा रहा है।
हिमाचल जैसे कृषि प्रधान राज्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते वन
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल जैसे कृषि प्रधान राज्य में वन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रदेश की अधिकांश आबादी अपनी आजीविका और अन्य रोजमर्रा की आवश्यकताओं के लिए वन संसाधनों पर अधिक निर्भर है। जलवायु परिवर्तन पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने पर्यावरण हितैषी संसाधनों और समाधानों की खोज तथा वन संपदा को संरक्षित एवं बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्यमंत्री ने सात जिलों में 460 ग्राम वन विकास समितियों (वीएफडीएस) और 900 से अधिक स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के गठन के माध्यम से संयुक्त वन प्रबंधन गतिविधियों के सुदृढ़ीकरण के लिए परियोजना के प्रयासों की सराहना की। परियोजना में वन आधारित समुदायों और वन विभाग के कर्मचारियों के लिए कौशल उन्नयन और क्षमता निर्माण को भी प्राथमिकता दी गई है। जलवायु परिवर्तन और अन्य आपदाओं से उत्पन्न जोखिमों को कम करने के उद्देश्य से 15 हजार से अधिक व्यक्तियों को आजीविका गतिविधियों और वनों के सुधार के दृष्टिगत प्रशिक्षित किया गया है।
प्रदेश को हरित राज्य बनाना वर्तमान प्रदेश की मुख्य प्राथमिकता
हरित और सतत विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को हरित राज्य बनाना वर्तमान प्रदेश सरकार की मुख्य प्राथमिकता है। इस दिशा में राज्य सरकार ने कई पहल की हैं। भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि जाईका द्वारा वित्तपोषित परियोजना हिमाचल को हरित राज्य बनाने की परिकल्पना को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। मुख्यमंत्री ने वन विभाग को परियोजना के दूसरे चरण की तैयारी शुरू करने तथा जो क्षेत्र पहले चरण में शामिल नहीं थे उन्हें सम्मलित करने के लिए कहा। बैठक में धर्मशाला से कृषि मंत्री चंद्र कुमार, मुख्य संसदीय सचिव किशोरी लाल, विधायक संजय रतन, भवानी सिंह पठानिया, केवल सिंह पठानिया और मलेंदर राजन वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए।
ये रहे मौके पर मौजूद
इस अवसर पर शिमला से मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर, जाईका इंडिया के मुख्य प्रतिनिधि साइतो मित्सुनोरी, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, प्रधान सचिव वन ओंकार चंद शर्मा, पीसीसीएफ (एचओएफएफ) राजीव कुमार, जाईका इंडिया के वरिष्ठ प्रतिनिधि वातानाबे जुन, मुख्य विकास विशेषज्ञ जेआईसीए इंडिया विनीत सरीन, मुख्य परियोजना निदेशक नागेश गुलेरिया और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
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